ग्वालियर

उम्र के इस पड़ाव में 30 मीटर हैमर थ्रो करने की क्षमता, जीत चुके कई गोल्ड मेडल
कौन कहता है कि आसमां में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों… गजलकार दुष्यंत कुमार की पंक्तियां ग्वालियर के डॉ. डीएस निर्भय के ऊपर बिल्कुल सटीक बैठती हैं, जो अस्सी साल के युवा हैं। जिस उम्र में लोग हिम्मत हारकर बिस्तर में लग जाते हैं, वह अभी भी 6 से 7 घंटे हैवी एक्सरसाइज करते हैं। रात में केवल पांच घंटे की नींद लेते हैं और सुबह 4.30 बजे उठकर अपना रुटीन शुरू कर देते हैं। एलएनआइपीई से सेवानिवृत्त एथलेटिक्स कोच डॉ. डीएस निर्भय हैमर थ्रो के शौकीन हैं। वह अभी तक कई गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुके हैं। उन्होंने इसी वर्ष इंडिया मास्टर्स एथलेटिक्स के 40वीं नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप-2020 में गोल्ड मेडल प्राप्त किया। वह वॉकिंग में भी नेशनल अवॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं।
घर पर बनाई जिम, 100 से अधिक मशीनें
एक्सरसाइज के लिए उन्होंने अपने घर पर ही जिम तैयार की है, जिसमें 100 से अधिक बॉडी बिल्डिंग की मशीने हैं। लगभग तीन हजार वर्ग फीट में उन्होंने मशीने लगाई हैं, जहां सुबह शाम एक्सरसाइज करते हैं। वह सेना के जवान और स्पोट्र्समैन को भी ट्रेंड कर चुके हैं।
मिल्खा सिंह के कैंप में पान सिंह तोमर के साथ कर चुके प्रैक्टिस
डॉ. निर्भय कॉलेज टाइम पर रनिंग और वॉक करते थे। उन्होंने मिल्खा सिंह के कैंप में पान सिंह तोमर के साथ प्रैक्टिस की है। कोच के ओवर ट्रेनिंग के कारण 1960 में उनकी एडिय़ा खराब हो गईं, तब उन्होंने हैमर थ्रो की प्रैक्टिस शुरू की और कई अवॉर्ड अपने नाम किए।
दो माह पहले तक करते थे 4 घंटे हैमर थ्रो की प्रैक्टिस
डॉ. निर्भय ने कहा कि मेरा लक्ष्य एशियन गेम व ओलम्पिक में शामिल होना है। मैं अपने लक्ष्य पर कायम हूं, जिसके तहत कोरोना वायरस के पहले तक प्रतिदिन 3 से 4 घंटे जीवाजी विश्वविद्यालय के ग्राउंड पर ‘हैमर थ्रोÓ की प्रैक्टिस करता था, लेकिन अभी नहीं कर पा रहा हूं। लेकिन जैसे ही मौका मिलेगा मैं अपनी प्रैक्टिस शुरू कर दूंगा।
More Stories
सपने पूरे करने अब कम हाइट नहीं आएगी आड़े, अब मॉडल को नहीं गुजरना होगा स्विम सूट राउंड से
आइटीएम ग्लोबल स्कूल ग्वालियर के पांच स्टूडेंट्स ने जीते गोल्ड मेडल
आइटीएम हॉस्पिटल ग्वालियर में 62वर्षीय कैंसर मरीज को सफल ऑपरेशन के बाद मिला नया जीवन